जो उद्दण्ड है, वही समाहत है ।
एक साझा संस्कृति-सी है ।
आदिम युगीन ! पहली आग पत्थरों की रगड़ से जलायी गयी थी ।
आग का तरीका वही है । आज भी ।
बस पत्थरों की जगह इंसानों का इस्तेमाल किया जाने लगा है ।
पुरातन अग्नि मूलतः भोजन पकाने के काम में लायी जाती थी ।
आज की आग बहुउद्देश्यीय है ।
हमने अपने सारे उद्देश्य आग को ही समर्पित कर रखे हैं।
त्योहार कैसे मनेंगे, यह तय भी अब
व्यक्ति नहीं,
बाजार
करता है ।
- डाॅ. श्रीकान्त पाण्डेय
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