समाज - Dr. Srikant Pandey

Monday, 17 December 2018

समाज


     


     




     



     जो उद्दण्ड है, वही समाहत है ।
     एक साझा संस्कृति-सी है ।
     आदिम युगीन ! पहली आग पत्थरों की रगड़ से जलायी गयी थी ।
     आग का तरीका वही है । आज भी ।
     बस पत्थरों की जगह इंसानों का इस्तेमाल किया जाने लगा है ।
     पुरातन अग्नि मूलतः भोजन पकाने के काम में लायी जाती थी ।
     आज की आग बहुउद्देश्यीय है ।
     हमने अपने सारे उद्देश्य आग को ही समर्पित कर रखे हैं।
     त्योहार कैसे मनेंगे, यह तय भी अब व्यक्ति नहीं, बाजार करता है ।


                                                            डाॅ. श्रीकान्त पाण्डेय

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