एक पटवारी से त्रस्त है
दूसरे को गुम हुई बेटी की
रपट लिखवानी है
तीसरा बेटे के मृत्यु प्रमाण
पत्र के लिए चक्कर लगा रहा है
चौथा विकलांग हॉस्टल के लिए
अर्जी लिए है
पांचवे को पिता के शव के लिए
एम्बुलेन्स चाहिए है
छठे को फसल का मुआवजा नहीं
मिला
और भी है लोग जो अकारण नहीं
खडे़ हैं ।
सब घबराए-घबराए हैं
सब याचक हैं
सब धक्के खा रहे हैं
सब हाथ बांधे हैं
सब नजरें झुकाएं हैं
सब भारत भाग्य विधाता हैं
सब एकजुट नहीं हैं लेकिन ।
कोट के बटन लगाता बाहर आता
है कलेक्टर
यह देश लोकतंत्र के मुफीद
नहीं
वह बुदबुदाता है
घर से गाड़ी चल पड़ती है
और सामने की खिड़की से नजर
आती है
उसके गनमैन की बन्दूक ।
No comments: