January 2019 - Dr. Srikant Pandey

Monday, 14 January 2019

गनमैन की बन्दूक
5:59 pm0 Comments














एक पटवारी से त्रस्त है
दूसरे को गुम हुई बेटी की रपट लिखवानी है
तीसरा बेटे के मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए चक्कर लगा रहा है
चौथा विकलांग हॉस्टल के लिए अर्जी लिए है
पांचवे को पिता के शव के लिए एम्बुलेन्स चाहिए है
छठे को फसल का मुआवजा नहीं मिला
और भी है लोग जो अकारण नहीं खडे़ हैं ।

सब घबराए-घबराए हैं
सब याचक हैं
सब धक्के खा रहे हैं
सब हाथ बांधे हैं
सब नजरें झुकाएं हैं
सब भारत भाग्य विधाता हैं
सब एकजुट नहीं हैं लेकिन ।

कोट के बटन लगाता बाहर आता है कलेक्टर
यह देश लोकतंत्र के मुफीद नहीं
वह बुदबुदाता है
घर से गाड़ी चल पड़ती है
और सामने की खिड़की से नजर आती है
उसके गनमैन की बन्दूक ।

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Wednesday, 9 January 2019

कठपुतलियां
11:16 am0 Comments













कठपुतलियों का खेल देखते - देखते
जाने क्या कैसे हुआ
कि खुद मैं एक कठपुतली बन गया।

देखता हूं कि मेरी पीठ भी
किसी धागे से बंधी है जो दिखाई नहीं पड़ता
और अपनी अंगुलियों पर
नचा रहा है कोई मुझे।

देखता हूं कि मेरे आस-पास का हर शख्स
मेरे देखते ही देखते
एक कठपुतली में बदल रहा है।

देखता हूं कि मैं अचानक घिर गया हूं
अस्थि - मज्जा रहित कठपुतलियों से।
देखता हूं कि
हम स्वांग रचते
एक कठपुतली घर
एक कठपुतली मुहल्ले और
एक कठपुतली समाज में
कैद होकर रह गए हैं।

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